नियंत्रक संदेश

यह बहुत ही प्रसन्‍नता का विषय है कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्षा परिषद् अपनी वेबसाइट प्रारम्‍भ करने जा रहा है। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में अनेक ऐसे पल हैं जो हमारी स्पीड पर ब्रेक लगा देते हैं। हमारे आस-पास ऐसे अनेक कारण विद्यमान हैं जो तनाव, थकान तथा चिड़चिड़ाहट को जन्म देते हैं, जिससे हमारी जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है। ऐसे में जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाये रखने के लिये योग एक ऐसी रामबाण दवा है जो, माइंड को कूल तथा बॉडी को फिट रखता है। योग से जीवन की गति को एक संगीतमय रफ्तार मिल जाती है। योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है। भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतंजली ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। पतंजली योग दर्शन के अनुसार – योगश्चित्तवृत्त निरोधः आशा है कि यह वेबसाइट परिषद से सम्‍बन्धित महत्‍वपूर्ण सूचनाओं को सभी सम्‍बन्धित लोगों तथा आमजन तक पहुंचाने में उपयोगी सिद्ध होगी।

आशा है कि यह वेबसाइट परिषद से सम्‍बन्धित महत्‍वपूर्ण सूचनाओं को सभी सम्‍बन्धित लोगों तथा आमजन तक पहुंचाने में उपयोगी सिद्ध होगी।