योग एवं प्राकृतिक चिकित्षा परिषद्

उद्देश्य: देश में दवाओं और होम्योपैथी कॉलेजों के भारतीय सिस्टम में शिक्षा के स्तर को उन्नत करने के लिए। मौजूदा अनुसंधान संस्थानों को मजबूत बनाने और एक समयबद्ध कार्यक्रम अनुसंधान सुनिश्चित करने के लिए पहचान रोगों पर इन प्रणालियों के लिए एक प्रभावी उपचार है। औषधीय पौधों के उत्थान के लिए और इन प्रणालियों में इस्तेमाल के लिए प्रोन्नति, खेती की योजनाएं तैयार करना। चिकित्सा और होम्योपैथिक दवाओं के भारतीय सिस्टम के लिए भेषज मानक विकसित करने के लिए।

योग एवं प्राकृतिक चिकित्षा परिषद् ,उत्‍तराखण्‍ड के उददेश्‍य

योग एवं प्राकृतिक चिकित्षा परिषद् उत्‍तराखण्‍ड आयुर्वेदिक, यूनानी, तिब्‍बी एवं सिद्धा पद्धतियों के प्रचार-प्रसार के साथ भारत की प्राचीन चिकित्‍सा पद्धतियों के विकास के लिए भी कटिबद्ध है। योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से आप स्‍वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं। योग के जरिए न सिर्फ बीमारियों का निदान किया जाता है, बल्कि इसे अपनाकर कई शारीरिक और मानसिक तकलीफों को भी दूर किया जा सकता है। योग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नव-ऊर्जा का संचार करता है। योगा शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है साथ ही तनाव से भी छुटकारा दिलाता है जो रोजमर्रा की जि़न्दगी के लिए आवश्यक है। योग आसन और मुद्राएं तन और मन दोनों को क्रियाशील बनाए रखती हैं।

आयुर्वेद : आयुर्वेद तन, मन और आत्‍मा के बीच संतुलन बनाकर स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन लंबा और खुशहाल होता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्‍त और कफ जैसे तीनों मूल तत्‍वों के संतुलन से कोई भी बीमारी आप तक नहीं आ सकती। लेकिन जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है और आयुर्वेद में इन्‍हीं तीनों तत्‍वों का संतुलन बनाया जाता है। साथ ही आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता है ताकि किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेद में विभिन्‍न रोगों के इलाज के लिए हर्बल उपचार, घरेलू उपचार, आयुर्वेदिक दवाओं, आहार संशोधन, मालिश और ध्‍यान का उपयोग किया जाता है।

होम्योपैथी, एक चिकित्सा पद्धति है। 'समरूपता के सिंद्धात' पर आधारित यह चिकित्‍सा पद्धति बिना किसी साइड-इफेक्‍ट के सभी बीमारियों का उपचार कर सकती है। इस चिकित्‍सा के अनुसार रोग को अत्यंत निश्चयपूर्वक, जड़ से और सदा के लिए नष्ट और समाप्त किया जा सकता है जो मानव शरीर में, रोग के लक्षणों से प्रबल और लक्षणों से अत्यंत मिलते जुलते सभी लक्षण उत्पन्न कर सके। होम्‍योपैथी चिकित्‍सा में चिकित्सक का मुख्य कार्य रोगी द्वारा बताए गए रोग लक्षणों को सुनकर उसी प्रकार के लक्षणों को उत्पन्न करने वाली औषधि का चुनाव करना होता है। रोग लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होगी रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी ही अधिक रहती है। होम्योपैथी चिकित्सा से अस्थमा, अर्थराइटिस, कोल्ड, फ्लू, तनाव, हृदय की बीमारियों, दांतों की समस्याओं और यहां तक कि एड्स व कैंसर जैसी बीमारियों का भी इलाज किया जा सकता है।